सम्राट अशोक का सही इतिहास

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सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF Free Download

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सम्राट अशोक का सही इतिहास pdf प्राप्त कर सकते हैं। सम्राट अशोक का जीवनकाल ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232 के मध्य का माना जाता है। सम्राट अशोक का राज्याभिषेक 272 ईसा पूर्व को हुआ था। चक्रवर्ती अशोक सम्राट के पिता जी का नाम सम्राट बिन्दुसार तथा माता जी का नाम रानी धर्मा था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक का नाम भारत को सर्वाधिक महान हस्तियों में गिना जाता है। उनका जन्म जन्म 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र, पटना में हुआ था।

यदि आप सम्राट अशोक का सही इतिहास जानना चाहते हैं तो आप इस लेख में दी गयी पीडीएफ़ के माध्यम से उनके संदर्भ में गहन एवं गंभीर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सम्राट अशोक ने देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तथा तिष्यरक्षिता नाम की रानियों से विवाह किया था। उनके महेन्द्र, संघमित्रा, तीवल, कुणाल तथा चारुमती नाम की पाँच संतान थीं। उन्होने अपने पराक्रम से मौर्य वंश की प्रतिष्ठा का ध्वज प्रत्येक दिशा में स्थापित किया था।

सम्राट अशोक का सही इतिहास pdf 2023

कर्मांकबिन्दुविवरण
1.शासनावधि269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व
2.राज्याभिषेक272 ईसा पूर्व
3.पूर्ववर्तीबिंदुसार
4.उत्तरवर्तीदशरथ मौर्य
5.जन्म304 ईसा पूर्वपाटलिपुत्र, पटना
6.निधन232 ईसा पूर्वपाटलिपुत्र, पटना
7.समाधिपाटलिपुत्र
8.जीवनसंगीदेवीकारुवाकीपद्मावतीतिष्यरक्षिता
9.संतानमहेन्द्रसंघमित्रातीवलकुणालचारुमती
10.घरानामौर्य राजवंश
11.पिताबिन्दुसार
12.मातासुभद्रांगी (रानी धर्मा)

सम्राट अशोक का सही इतिहास pdf साम्राज्य-विस्तार

  • अशोक का ज्येष्ठ भाई सुशीम उस समय तक्षशिला का प्रान्तपाल था।
  • तक्षशिला में भारतीय-यूनानी मूल के बहुत लोग रहते थे। इससे वह क्षेत्र विद्रोह के लिए उपयुक्त था। सुशीम के अकुशल प्रशासन के कारण भी उस क्षेत्र में विद्रोह पनप उठा।
  • राजा बिन्दुसार ने सुशीम के कहने पर राजकुमार अशोक को विद्रोह के दमन के लिए वहाँ भेजा।
  • अशोक के आने की खबर सुनकर ही विद्रोहियों ने उपद्रव खत्म कर दिया और विद्रोह बिना किसी युद्ध के खत्म हो गया। हालाकि यहाँ पर विद्रोह एक बार फिर अशोक के शासनकाल में हुआ था, पर इस बार उसे बलपूर्वक कुचल दिया गया।
  • अशोक का साम्राज्य अशोक की इस प्रसिद्धि से उसके भाई सुशीम को सिंहासन न मिलने का संकट बढ़ गया। उसने सम्राट बिंदुसार को कहकर अशोक को निर्वास में डाल दिया। अशोक कलिंग चला गया। वहाँ उसे मत्स्यकुमारी कौर्वकी से प्रेम हो गया।
  • वर्तमान में मिले साक्ष्यों के अनुसार बाद में अशोक ने उसे तीसरी या दूसरी रानी बनाया था। इसी बीच उज्जैन में विद्रोह हो गया। अशोक को सम्राट बिन्दुसार ने निर्वासन से बुला विद्रोह को दबाने के लिए भेज दिया।
  • हलांकी उसके सेनापतियों ने विद्रोह को दबा दिया पर उसकी पहचान गुप्त ही रखी गई क्योंकि मौर्यों द्वारा फैलाए गए गुप्तचर जाल से उसके बारे में पता चलने के बाद उसके भाई सुशीम द्वारा उसे मरवाए जाने का भय था। वह बौद्ध सन्यासियों के साथ रहा था। इसी समय उसे बौद्ध विधि-विधानों तथा शिक्षाओं का पता चला था।
  • यहाँ पर एक सुन्दरी, जिसका नाम देवी था, उससे अशोक को प्रेम हो गया। स्वस्थ होने के बाद अशोक ने उससे विवाह कर लिया। कुछ वर्षों के बाद सुशीम से तंग आ चुके लोगों ने अशोक को राजसिंहासन हथिया लेने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि सम्राट बिन्दुसार वृद्ध तथा रुग्ण हो चले थे।
  • जब वह आश्रम में थे तब उनको समाचार मिला की उनकी माँ को उनके सौतेले भाईयों ने मार डाला, तब उन्होने राजभवन में जाकर अपने सारे सौतेले भाईयों की हत्या कर दी और सम्राट बने।
  • सत्ता संभालते ही अशोक ने पूर्व तथा पश्चिम, दोनों दिशा में अपना साम्राज्य फैलाना प्रारम्भ किया। उसने आधुनिक असम से ईरान की सीमा तक साम्राज्य केवल आठ वर्षों में विस्तृत कर लिया।

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