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Bajrang Baan PDF Free Download
संकटमोचक, राम भक्त और कलयुग के देवता हनुमानजी का जन्मोत्सव चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। प्रत्येक हनुमान भक्त को इस विशेष दिन पर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित हनुमान जी की आरती का पाठ करना आवश्यक है।
हनुमान चालीसा संकट मोचन बजरंग बाण Lyrics
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
बजरंग बाण Bajarang Baan
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।
गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।
ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।
सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।
वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।
चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
Bajrang Baan Benefits In Hindi
मंगलवार के पाठ से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को कभी भी बड़ी बीमारी होने का खतरा नहीं रहता है। साथ ही उसे किसी भी प्रकार की कोई बीमारी या विकृति नहीं है। बजरंग बाण का नित्य पाठ करने से शौर्य और आत्मबल में वृद्धि होती है।
साथ ही आप अपने सभी प्रयासों में सफल होते हैं। परिवार की सफलता, धन और सुख-समृद्धि के लिए आप बजरंग बाण का पाठ भी कर सकते हैं। अगर डर आपके दिमाग में एक निरंतर विचार है। यदि आप बिना किसी स्पष्ट कारण के डरे हुए हैं तो हनुमान जी आपकी चिंताओं को दूर कर सकते हैं।
कृपया बजरंग बाण का पाठ करें। अगर काम में कोई चुनौती है। यदि आपका परिश्रम अनुत्पादक हो जाए तो आपको बजरंग बाण का जाप करना चाहिए। सभी प्रयासों को हनुमान जी का समर्थन प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि बजरंग बाण का जाप करने से भयानक बीमारियों से बचा जा सकता है।
साथ ही वह सभी रोगों और अन्य दोषों से मुक्त हो जाता है। किसी भी प्रयास में सफलता की गारंटी के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। यदि विरोधी आप पर हावी हो रहे हैं तो मंगलवार का दिन बजरंग बाण का पाठ करने का दिन है।
कहा जाता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को विरोध पर काबू पाने में मदद मिलती है। इस दिन अपने अज्ञात भय को दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करने के साथ ही रुका हुआ कार्य भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है।