A City’s Development Has Been Found To Be Positively Impacted By Tourism. Despite A Few Drawbacks, Overall Positive Effects Have Always Outweighed Any Negative Ones In The Past. Some Areas Rely Entirely On It As Their Main Source Of Income. One Of The Businesses That Has Suffered The Most Since The Pandemic Breakout At The End Of 2019 And The New Who Procedures Is The Tourism Sector. People In The Tourism Sector Are Virtually Jobless And Uncertain Of Their Futures Due To Numerous Travel Restrictions And A Nearly Total Ban On International Travel. In This Research, We First Use Statistical Techniques To Analyse The Perspectives Of Various Tourist Stakeholders To Ascertain The Influence Of Tourism And The Impact Of Covid On Tourism, And Then We Use The Results From The Analysis To Provide Models For Tourism Revival.
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उदयपुर मास्टर प्लान 1997-2022 राजस्थान के उदयपुर शहर का निर्माण, विकास और विस्तार करने के लिए तैयार किया गया एक योजना है। यह योजना शहर के लंबे समय तक विकास के लिए निर्धारित रणनीतियों और मार्गदर्शन को स्पष्ट करती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उदयपुर को समृद्ध, स्वस्थ और सुरक्षित शहर बनाना है।
उदयपुर मास्टर प्लान 1997-2022 का मुख्य फोकस शहर के स्थानीय विकास पर है। यह योजना शहर के विभिन्न क्षेत्रों के लिए उचित आधार बनाती है और उन्हें समृद्ध बनाने के लिए आवश्यक बदलावों को अंतर्दृष्टि से निर्धारित करती है।
- शहर की आबादी को समझौता और समन्वय के साथ विकसित करना।
- आवास, वाणिज्यिक, सामाजिक और वित्तीय विकास को बढ़ावा देना।
- वातावरण के संरक्षण के लिए उचित नीतियों और उपायों को अपनान
Udaipur Master Plan 1997-2022
The Master Plan covers all aspects of urban planning, including land use, transportation, infrastructure, environment, and heritage conservation. The plan is designed to cater to the needs of the growing population of Udaipur and ensure that the city’s resources are utilized efficiently.
The Master Plan has identified various areas for development and expansion, including new residential and commercial areas, industrial zones, and tourist facilities. The plan also includes provisions for the preservation of Udaipur’s rich cultural and architectural heritage, with the development of heritage zones and the promotion of traditional crafts and industries.
Overall, the Udaipur Master Plan 1997-2022 is an essential document for anyone interested in the development and growth of the city. It provides a clear roadmap for the future of Udaipur and ensures that the city continues to thrive and prosper in a sustainable and balanced manner.
“ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2011-31 तैयार करने में निर्धारित विधिक व विभागीय प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई। वर्ष 1997-2022 के मास्टर प्लान को सरकार द्वारा वापस लेने (विड्रो) के आदेश भी नहीं हुए। ड्राफ्ट प्लान त्रुटियों से अटा पड़ा है। अतः राज्य सरकार को इस ड्राफ्ट को निरस्त करना चाहिए। निर्धारित व आवश्यक विधिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए पुनः संशोधित मास्टर प्लान जारी किया जाए तथा उस पर सुझाव आमंत्रित किया जाए।” यह प्रस्ताव शुक्रवार को डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में विभिन्न संस्थाओं की आपात बैठक में पारित किया गया। बैठक में झील संरक्षण समिति, चाँदपोल नागरिक समिति, झील हितेषी नागरिक विचार मंच, महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान, मेवाड़ एंगलर सोसायटी, गाँधी स्मृति मंदिर, ऑल इण्डिया मिली काउंसिल के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक में अनिल मेहता व शांतीलाल गोदावत ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव बनाने में किसी प्रकार का जमीनी सर्वेक्षण नहीं किया गया। शहर व नागरिकों की मौलिक, वर्तमान व भविष्य की आवश्यकताओं का मूल्यांकन (नीड असेसमेन्ट) नहीं किया गया। टाउन प्लानिंग एक बहुआयामी व बहुसंकायी कार्य है लेकिन उक्त ड्राफ्ट प्रस्ताव में किसी भी प्रकार का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, पर्यावरणीय, स्थलाकृतिय, भूजलीय सर्वेक्षण व विश्लेषण नहीं हुआ है अतः ड्राफ्ट का पुनः निर्माण जरूरी है।
पूर्व अधीक्षण अभियन्ता जी.पी. सोनी ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव के लगभग सभी आंकड़े तथ्यहीन, पुराने एवं त्रृटिपूर्ण है। यह भी आश्चर्यजनक है कि ड्राफ्ट प्रस्ताव तैयार कराने की निविदा 2012 में निकाली जबकि प्राईवेट कन्सलटेन्ट को 2011 में ही कार्य पर लगा दिया।
पूर्व पार्षद अब्दुल अजीज खान एवं नूर मोहम्मद खान ने कहा कि ड्राफ्ट के लिखित भाग व नक्शों में गंभीर विसंगतिया है। यह एक षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को इंगित करता है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख वास्तुविद् बी. एल. मंत्री ने कहा कि मास्टर प्लान के साथ ही सेक्टर प्लान भी तैयार किए जाए। उदयपुर के पूर्व के सभी मास्टर प्लान में कभी भी सेक्टर प्लान नहीं बने, यह निर्धारित प्रक्रिया व नियोजन सिद्धान्तों का उल्लंघन है। इसी से शहर को बेतरतीब व अनियंत्रित फैलाव होता है।
ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि यदि नगर नियोजन विभाग के स्थानीय व आला अधिकारी एक बार ड्राफ्ट को पढ़ लेते तो शायद इतनी त्रुटियां नहीं रहती। मास्टर प्लान बनाने वाली एजेन्सी के साथ ही इससे जुड़े सभी अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये।
भंवर सेठ, चौसर लाल कच्छारा तथा मानमल कुदाल ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव की निरस्ती के पश्चात् नागरिकों, स्वैच्छिक संस्थाओं व विशेषज्ञों की सहभागिता से आयोजना प्रक्रिया पुनः प्रारंभ की जानी चाहिए।
तेजशंकर पालीवाल, व इस्माइल अली दुर्गा ने कहा कि लाखों रूपयों का भुगतान लेकर भी गलत रिपोर्ट लिखने वाली कम्पनी को ब्लेक लिस्टेड करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता नन्दलाल कुम्हार ने कहा कि शहर की आबादी का घनत्व केन्द्रित नहीं होकर हर तरफ समान रूप से विरल रहे इसके लिए उपनगरों को सुविधा सम्पन्न केन्द्रों के रूप में विकसित करने का दृष्टिकोण मास्टर प्लान में नहीं है।
पूर्व अभियन्ता सोहनलाल तम्बोली व हाजी सरदार मोहम्मद ने कहा कि पिछले मास्टर प्लान में किसी भी नागकिर सुझाव को नहीं मानकर केवल सरकारी विभागों के सुझावों को ही स्वीकार किया गया। यह साबित करता है कि नियोजन प्रक्रिया में नागरिकों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। धन्यवाद नितेश सिंह ने ज्ञापित किया।