Kichad Ka Kavya | कीचड़ का काव्य

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Kichad Ka Kavya PDF

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मध्यावधि और अंतिम परीक्षाओं के लिए प्रश्नों को तैयार करने के लिए, इसे संदर्भ के रूप में भी उपयोग किया जाता है। उदाहरणों और चित्रों के प्रयोग से अवधारणाओं को बहुत ही सरल शब्दों में पढ़ाया जाता है।

एक स्पष्ट धारणा विकसित करने के साथ-साथ पूर्ण और व्यापक शिक्षा के लिए आदर्श। किताबों के अध्याय पाठकों को किसी भी विचार को समझने में मदद करने के लिए अभ्यास की समस्याएं और जानकारीपूर्ण उदाहरण प्रदान करते हैं।

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आगे की सामग्री में श्री कालेकर जी का दावा है कि किसी भी कवि या लेखक ने कभी भी अपनी किसी रचना या रचना में “कीचड़” शब्द का प्रयोग नहीं किया है। हालाँकि, लेखक की राय में, कई व्यक्तियों को गंदगी का रंग पसंद है। उदाहरण के तौर पर, घरों की दीवारों पर, किताबों के अंदर कार्डबोर्ड, मिट्टी के पात्र, चित्र बनाते समय, आदि।

लेखक मिट्टी की सुंदरता की प्रशंसा करता है और जोड़ता है कि जब यह सूख जाती है और नदी के किनारे टूट जाती है, तो यह एक सूखी खोपड़ी जैसा दिखता है। उनके उत्कीर्ण निशान महिषकुल की लड़ाई से संबंधित प्रतीत होते हैं जब दो पांडा अपने सींगों से गंदगी को रौंद कर कुश्ती करते हैं।

जब उस पर बड़ी या छोटी चिड़िया की पटरियाँ दिखाई देती हैं तो मन करता है कि हम वहाँ काफिले में सफ़र करें। फिर, जब मिट्टी सूख जाती है और मिट्टी जम जाती है, तो गाय, भैंस, बैल, बकरी और अन्य जानवरों के पैरों के निशान पीछे छूट जाते हैं, जो एक अलग तरह की सुंदरता छोड़ जाते हैं।

कीचड़ का काव्य PDF

इसके बाद के पाठ में, लेखक का दावा है कि यदि हम मिट्टी के विशाल आकार को देखना चाहते हैं, तो हमें गंगा या सिंधु नदियों के किनारे जाना चाहिए या सीधे खंभात जाना चाहिए, जहाँ तक हमारी आँखें देख सकती हैं, कीचड़ देखा जा सकता है। आगे अपने तर्क का समर्थन करते हुए, लेखक का दावा है कि यद्यपि हमारे कवि गर्व से मल द्वारा गठित वाक्यांश का उपयोग करते हैं, वे गंदगी को कोई स्थान नहीं देते हैं। इस विषय पर कवियों से बात करने से बचना ही अच्छा है।

लेखक पाठ में दावा करता है कि एक व्यक्ति को अपने भोजन से घृणा नहीं करनी चाहिए यदि वे ध्यान रखें कि यह मिट्टी से बना है।

प्रदर्शित की जा रही सामग्री श्री काका कालेलकर द्वारा लिखी गई थी। उनका जन्म 1885 में महाराष्ट्र के सतारा नगर में हुआ था। मराठी श्री कालेलकर की मूल भाषा थी।

वह एक ही समय में बंगाली, गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में निपुण थे। राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार में गांधीजी के साथ भागीदारी करने के बाद श्री कालेलकर ने हिंदी में लिखना शुरू किया। भारत को आजादी मिलने के बाद, श्री कालेलकर ने अपना शेष जीवन गांधीजी के विचारों और कार्यों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कई वर्षों तक मंगल प्रभात पत्र का संपादन भी किया।

श्री कालेलकर जी की प्रमुख कृतियाँ हैं — 
हिमालयनो प्रवास, लोकमाता (यात्रा वृत्तांत), स्मरण यात्रा (संस्मरण), जीवननो आनंद, अवारनवार (निबंध संग्रह), धर्मोदय (आत्मचरित)…|| 

कीचड़ का काव्य पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 रंग की शोभा ने क्या कर दिया है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, रंग की शोभा ने उत्तर दिशा में जमकर कमाल ही कर दिया है | 

प्रश्न-2 बादल किसकी तरह हो गए थे ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बादल स्वेत पूनी की तरह हो गए थे | 

प्रश्न-3 कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ लोग पसंद करते हैं | 

प्रश्न-4 नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, नदी के किनारे जब कीचड़ सूख जाते हैं और तत्पश्चात् उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे सुंदर दिखाई देने लगते हैं | 

प्रश्न-5 ‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है ? 

उत्तर- वास्तव में, ‘पंक’ शब्द का अर्थ ‘कीचड़’ होता है तथा ‘पंकज’ शब्द का अर्थ ‘कमल’ होता है | 

प्रश्न-6 कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती ? 

उत्तर- 
वास्तव में, कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति इसलिए नहीं होती, क्योंकि कीचड़ से कपड़े मैले हो जाते हैं, शरीर गन्दा हो जाता है | कीचड़ के प्रति लोगों के मतों या विचारों की बात करें तो लोग कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हैं | 

प्रश्न-7 ज़मीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं ? 

उत्तर-
 प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ज़मीन ठोस होने पर उस पर बैल, गाय, पाड़े, बकरे, भैंस इत्यादि के पदचिन्ह अंकित होते हैं | 

प्रश्न-8 मनुष्य को क्या भान होता जिससे वो कीचड़ का तिरस्कार न करता ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मनुष्य को यदि यह भान होता कि उसका अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है, तो वह कीचड़ का तिरस्कार कभी न करता | 

प्रश्न-9 कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कीचड़ का रंग कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाये गए मिटटी के बर्तनों के लिए पसंद है | फोटो लेते वक़्त उस पर कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग जम जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग प्रसन्न होते हैं | पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर सब लोग कीचड़ के रंग को पंसद करते नज़र आते हैं | 

प्रश्न-10 कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब कीचड़ सूख जाता है, तब टुकड़ो में बंट जाता है | नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के चिन्ह अंकित हो जाते हैं, जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है | उसमें दरारें आ जाती हैं और वे टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाए हुए खोपरे जैसे दिखाई देते हैं | 

प्रश्न-11 सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है ? 

उत्तर-
 प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है | जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगो से कीचड़ को रौंदते हैं तो चिन्हों से ज्ञात होता है महिषकुल के युद्ध के वर्णन हो | कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं | अधिक सूखने पर गाय, भैंस पांडे, भेड़, बकरियाँ के पदचिन्ह अंकित होने लगते हैं | 

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